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अब नहीं चलेगी बैंको की मनमानी! हाईकोर्ट के फैसले से करोड़ों लोन धारकों को मिली राहत Bank Loan Rules

By Satish Kumar

Published On:

Bank Loan Rules

Bank Loan Rules – आज के समय में ज्यादातर लोगों को कभी न कभी लोन की ज़रूरत पड़ ही जाती है। चाहे घर खरीदना हो, बिजनेस शुरू करना हो या किसी इमरजेंसी में पैसे की जरूरत हो, बैंक से लोन लेना एक आम बात हो गई है। लेकिन जहां लोन मिलना आसान हुआ है, वहीं समय पर उसकी किस्त चुकाना भी ज़रूरी हो जाता है। जब कोई लोन चुकाने में देरी करता है, तो बैंक अपने वसूली एजेंटों को भेजकर रकम वसूलने की कोशिश करता है।

ये एजेंट कई बार दबाव बनाने वाले तरीके अपनाते हैं, जिससे कर्जदार परेशान हो जाते हैं। लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले ने ऐसे करोड़ों लोगों को राहत दी है, जो किसी वजह से अपना लोन समय पर नहीं चुका पा रहे हैं।

हाईकोर्ट का सख्त संदेश बैंकों को

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिससे लोन लेने वाले लाखों लोगों को राहत मिली है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि बैंक अब कर्जदारों से वसूली करते समय किसी भी तरह की मनमानी नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि देश के हर नागरिक के पास कुछ मौलिक अधिकार होते हैं, और लोन की वसूली करते समय इन अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। इसका मतलब ये है कि अब बैंक कानून से बाहर जाकर लोगों पर दबाव नहीं बना सकते, और हर कार्रवाई कानूनी दायरे में ही होनी चाहिए।

अब नहीं जारी होगा लुक आउट सर्कुलर सिर्फ लोन न चुकाने पर

इस फैसले में हाईकोर्ट ने एक अहम बात ये भी कही है कि अगर कोई व्यक्ति सिर्फ लोन नहीं चुका पाया है, और उसके खिलाफ कोई धोखाधड़ी या आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, तो उसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी नहीं किया जा सकता। इस मामले में एक याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि वह एक कंपनी का पूर्व निदेशक था और केवल गारंटर के तौर पर उसके नाम पर लोन लिया गया था। बाद में जब कंपनी कर्ज नहीं चुका पाई, तो बैंक ने उसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी कर दिया, जिससे वह विदेश भी नहीं जा पा रहा था। कोर्ट ने इस सर्कुलर को रद्द करते हुए कहा कि यह उसके मूल अधिकारों का हनन है।

विदेश यात्रा पर रोक नहीं लगा सकते बैंक

कोर्ट ने साफ कहा कि किसी व्यक्ति को जबरदस्ती विदेश जाने से रोकना उसके मौलिक अधिकारों का हनन है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने अपने फैसले में कहा कि लुक आउट सर्कुलर का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं किया जा सकता कि व्यक्ति ने लोन की रकम समय पर नहीं चुकाई। जब तक किसी पर धोखाधड़ी या आपराधिक मामला साबित नहीं होता, तब तक उसे देश से बाहर जाने से रोका नहीं जा सकता।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का मामला

इस केस में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने एक कंपनी से 69 करोड़ रुपये का लोन दिया था। इस कंपनी के एक पूर्व निदेशक को गारंटर बनाया गया था, जो बाद में कंपनी छोड़कर कहीं और काम करने लगा। जब कंपनी ने लोन चुकाना बंद कर दिया, तो बैंक ने न केवल कंपनी पर, बल्कि उस गारंटर पर भी कानूनी कार्रवाइयाँ शुरू कर दीं। लुक आउट सर्कुलर भी जारी कर दिया गया। इसके खिलाफ उस व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका डाली और कोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया।

अनुच्छेद 21 और व्यक्तिगत स्वतंत्रता

इस पूरे मामले में कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 का भी हवाला दिया। यह अनुच्छेद हर व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ लोन न चुकाने की वजह से किसी को अपराधी नहीं माना जा सकता और उसके अधिकार नहीं छीने जा सकते। यह फैसला साफ करता है कि बैंक अब कर्जदारों पर जबरदस्ती दबाव नहीं बना सकते।

लोगों को मिली थोड़ी राहत

आज की आर्थिक स्थिति को देखते हुए बहुत से लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। ऐसे में अगर कोई समय पर लोन नहीं चुका पाता, तो उस पर दबाव डालना या उसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करना बिल्कुल गलत है। कोर्ट के इस फैसले से ऐसे लोगों को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, यह भी ज़रूरी है कि हम अपनी वित्तीय ज़िम्मेदारियों को समझें और जितना हो सके, समय पर लोन की किस्तें भरने की कोशिश करें।

यह फैसला क्यों है खास

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला उन सभी के लिए एक राहत की सांस की तरह है जो लोन लेने के बाद किसी कारणवश भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। इस निर्णय से यह संदेश भी गया है कि बैंक सिर्फ लोन वसूलने के नाम पर किसी की स्वतंत्रता को नहीं छीन सकते। अब उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा और किसी भी व्यक्ति के साथ उसके अधिकारों का सम्मान करना पड़ेगा।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे कानूनी सलाह न माना जाए। किसी भी कानूनी निर्णय या प्रक्रिया के लिए आपको किसी योग्य कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। लेख में दी गई जानकारी की पूर्णता या सटीकता की हम कोई गारंटी नहीं देते।

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