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RBI के दिशा-निर्देश जारी! चेक बाउन्स होने पर जेल और जुर्माने की सजा तय Cheque Bounce Punishment

By Satish Kumar

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Cheque Bounce Punishment

Cheque Bounce Punishment – आज के दौर में लोग डिजिटल पेमेंट का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं, लेकिन कई बार अब भी लोग चेक से लेन-देन करना पसंद करते हैं। देखने में ये प्रोसेस आसान लगता है – बस एक चेक भरा, साइन किया और सामने वाले को दे दिया। लेकिन अगर आपने किसी को चेक दिया और आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं था, तो समझ लीजिए कि मुसीबत आपके दरवाज़े पर खड़ी है। चेक बाउन्स होना सिर्फ एक साधारण गलती नहीं है, बल्कि इसके पीछे कानून है, जो सख्त सजा और जुर्माने की बात करता है।

चेक का इस्तेमाल करने से पहले ध्यान रखें ये बातें

जब भी आप बैंक से खाता खुलवाते हैं, तो आपको एक पासबुक और चेकबुक दी जाती है। ये चेकबुक आपको बैंक से पैसे निकालने या किसी को भुगतान करने का एक जरिया देती है। लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत सावधानी से करना जरूरी है। अगर आपने किसी को चेक दिया है और आपके खाते में उतनी रकम नहीं है, तो चेक बाउन्स हो सकता है और फिर आप मुश्किल में फंस सकते हैं। इसके लिए कानून के मुताबिक आपको सजा भी हो सकती है और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। इसलिए चेक भरते वक्त ध्यान रखें कि खाते में पर्याप्त बैलेंस हो और कोई तकनीकी गलती न हो।

किन कारणों से होता है चेक बाउन्स?

चेक बाउन्स होने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम वजह होती है – खाते में पैसे का कम होना। लेकिन इसके अलावा भी कई तकनीकी कारण होते हैं जैसे ओवरराइटिंग कर देना, हस्ताक्षर मेल न खाना, चेक में लिखी रकम में शब्दों और अंकों में फर्क होना या गलत तारीख डाल देना। ऐसे मामलों में बैंक चेक को स्वीकार नहीं करता और ‘चेक बाउन्स’ का मामला बन जाता है। साथ ही, बैंक भी इस स्थिति में पेनल्टी वसूलता है जो आपके खाते से काटी जाती है।

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चेक बाउन्स के बाद अगला कदम क्या होता है?

अगर किसी को दिया गया चेक बाउन्स हो जाता है, तो सबसे पहले चेक रिसीवर यानी लेनदार को इसकी जानकारी दी जाती है और बैंक की तरफ से एक स्लिप दी जाती है जो इस फेल ट्रांजेक्शन का प्रूफ होती है। इसके बाद चेक देने वाले व्यक्ति को मौका दिया जाता है कि वो एक महीने के अंदर वो बकाया रकम चुका दे। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो कानूनी प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

लीगल नोटिस और मुकदमा

अगर एक महीने के भीतर चेक की रकम नहीं दी जाती है, तो चेक रिसीवर की तरफ से चेक देने वाले को एक लीगल नोटिस भेजा जाता है। इस नोटिस का जवाब 15 दिनों के भीतर देना जरूरी होता है। अगर इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आती, तो चेक देने वाले व्यक्ति के खिलाफ Negotiable Instruments Act, 1881 की धारा 138 के तहत केस दर्ज हो सकता है। ये एक आपराधिक मामला होता है, और इसका असर व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री पर भी पड़ता है।

क्या सजा मिल सकती है चेक बाउन्स पर?

चेक बाउन्स होना एक दंडनीय अपराध है। कानून के अनुसार, धारा 138 के तहत दोषी पाए जाने पर आपको दो साल तक की जेल हो सकती है या आर्थिक जुर्माना देना पड़ सकता है, या दोनों हो सकते हैं। इसके साथ ही, कोर्ट आरोपी को उस रकम पर ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश भी दे सकती है। ऐसे केस स्थानीय कोर्ट में दर्ज किए जाते हैं और प्रक्रिया लंबी चल सकती है, इसलिए बेहतर है कि ऐसी स्थिति आने ही न दी जाए।

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चेक की वैधता और समयसीमा

ध्यान रखने वाली एक और जरूरी बात है – चेक की वैधता। भारत में किसी भी चेक की वैधता केवल तीन महीने होती है। अगर इस अवधि के बाद आप चेक को बैंक में जमा करते हैं, तो वह अमान्य माना जाएगा और उसे क्लियर नहीं किया जाएगा। इसलिए चेक रिसीव करने के बाद जल्द से जल्द उसे बैंक में जमा कराना बेहतर होता है।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दिए गए कानूनी प्रावधान या प्रक्रियाएं समय और परिस्थिति के अनुसार बदल सकती हैं। किसी भी कानूनी सलाह या कार्रवाई से पहले किसी योग्य विधि विशेषज्ञ या वकील से संपर्क अवश्य करें। लेखक या प्रकाशक किसी भी प्रकार की कानूनी जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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