18 Months DA Arrears – काफी वक्त से केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स 18 महीने के बकाया डीए (Dearness Allowance) को लेकर उम्मीद लगाए बैठे थे। सोशल मीडिया से लेकर धरना-प्रदर्शन तक, हर तरफ ये ही मांग उठ रही थी कि कोरोना काल के दौरान जो डीए रोका गया था, वो अब सरकार वापस दे। लेकिन अब इस मुद्दे पर सरकार ने जो लिखित जवाब दिया है, उसने इन उम्मीदों को पूरी तरह से झटका दे दिया है।
सरकार का साफ इनकार – अब नहीं मिलेगा बकाया डीए
केंद्र सरकार की तरफ से वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में राज्यसभा में एक लिखित जवाब दिया, जिसमें उन्होंने साफ-साफ कहा कि कोरोना काल में रोका गया 18 महीने का डीए और डीआर (Dearness Relief) अब नहीं दिया जाएगा। यानी सरकार ने इस मुद्दे पर अब पूरी तरह विराम लगा दिया है। इससे साफ हो गया कि अब कर्मचारियों और पेंशनर्स को उस 18 महीने के पैसे की कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
पहले भी कर चुकी है सरकार इनकार
असल में यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने इस मुद्दे पर जवाब दिया हो। इससे पहले भी जब ये सवाल उठे थे, तब भी सरकार ने यही रुख अपनाया था कि 18 महीने का एरियर देने की कोई योजना नहीं है। लेकिन इस बार खास बात ये है कि सरकार ने अपने जवाब को लिखित रूप में दिया है, जिससे अब कोई भ्रम बाकी नहीं रह गया है।
क्या था कर्मचारियों की उम्मीद का आधार?
दरअसल, कर्मचारियों को यह उम्मीद इसलिए भी थी क्योंकि सरकार तीसरी बार सत्ता में लौट चुकी है और अब स्थिरता के साथ काम कर रही है। ऐसे में कई कर्मचारी संगठनों को लग रहा था कि सरकार अब कोई सकारात्मक कदम उठा सकती है। सोशल मीडिया पर भी यह चर्चा चल रही थी कि शायद अब 18 महीने का बकाया डीए मिल जाएगा। लेकिन ताजा जवाब ने इन अटकलों पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया।
राज्यसभा में क्या पूछा गया था?
राज्यसभा के कुछ सदस्यों ने सरकार से ये पूछा था कि आखिर सरकार कोरोना के समय रोके गए डीए और डीआर को कर्मचारियों और पेंशनर्स को कब देने जा रही है? साथ ही उन्होंने यह भी जानना चाहा कि अगर सरकार का ऐसा कोई प्लान नहीं है तो इसके पीछे की वजह बताई जाए। सरकार ने इस पर पूरी पारदर्शिता के साथ जवाब देते हुए कहा कि इसे भविष्य में भी जारी करने की कोई योजना नहीं है।
सरकार ने क्या दिया तर्क?
सरकार ने जो कारण बताया, वो काफी हद तक समझने लायक है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान देश की आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई थी। ऐसे में सरकार को कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में फंड्स लगाने पड़े, खासतौर पर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, वैक्सीनेशन, गरीबों के लिए राहत पैकेज और अन्य जरूरी चीज़ों में। इन्हीं वजहों से वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए डीए को रोका गया था, और अब उसे देना संभव नहीं है।
डीए और डीआर दोनों की उम्मीदें खत्म
सरकार के इस लिखित जवाब के बाद न सिर्फ डीए बल्कि डीआर यानी पेंशनर्स के लिए महंगाई राहत की उम्मीदें भी खत्म हो गई हैं। अब कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों को यह मानकर चलना होगा कि 18 महीने का बकाया भले ही पुराना हो गया हो, लेकिन उसकी भरपाई अब नहीं होने वाली।
अब क्या करें कर्मचारी और पेंशनर्स?
कई कर्मचारी संगठन अब भी सरकार से अपील करने की सोच रहे हैं, लेकिन जिस तरह से सरकार ने साफ इनकार किया है, उससे यही लगता है कि अब इस मांग का कोई मतलब नहीं रह गया है। फिलहाल, जो मौजूदा डीए और डीआर की वृद्धि होती है, उसी से संतोष करना पड़ेगा।
Disclaimer
यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल सामान्य जागरूकता फैलाना है। किसी भी वित्तीय निर्णय या योजना से पहले संबंधित सरकारी स्रोत या अधिसूचना की पुष्टि अवश्य करें। ChatGPT किसी भी तरह की गलत जानकारी या बदलाव के लिए जिम्मेदार नहीं है।