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लोन न भर पाने वालों को भी हैं 5 बड़े अधिकार, RBI की गाइडलाइन जारी RBI Bank Loan Rule

By Satish Kumar

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RBI Bank Loan Rule

RBI Bank Loan Rule – अक्सर लोगों को लगता है कि अगर उन्होंने बैंक से लोन ले लिया है और किसी कारणवश उसे चुकाने में देरी हो रही है या चुकता नहीं कर पा रहे हैं, तो बैंक जो चाहे वो कर सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। बैंक के साथ-साथ लोन लेने वाले ग्राहक को भी कई अधिकार दिए गए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने साफ तौर पर इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि लोन न चुका पाने की स्थिति में बैंकों को किन नियमों का पालन करना होगा और ग्राहकों को किस तरह के अधिकार मिलते हैं।

जब कोई व्यक्ति होम लोन, पर्सनल लोन या किसी अन्य प्रकार का लोन लेता है और किसी कारणवश उसकी EMI समय पर नहीं भर पाता, तो उस पर मानसिक दबाव बनना शुरू हो जाता है। कई बार बैंक या रिकवरी एजेंटों की तरफ से गलत तरीके अपनाए जाते हैं, जिससे ग्राहक तनाव में आ जाते हैं। लेकिन RBI ने ऐसे हालात को ध्यान में रखते हुए लोनधारकों को कुछ अहम अधिकार दिए हैं, जिससे वे खुद को ऐसे दुर्व्यवहार से बचा सकते हैं।

बैंक नहीं कर सकते जबरदस्ती और दुर्व्यवहार

अगर कोई ग्राहक लोन नहीं चुका पा रहा है, तो बैंक को कोई हक नहीं कि वह उससे बदसलूकी करे या जबरदस्ती वसूली करे। बैंक के कर्मचारी या रिकवरी एजेंट किसी भी ग्राहक को धमका नहीं सकते और न ही जबरदस्ती पैसे वसूल सकते हैं। ऐसा करना पूरी तरह से गैरकानूनी है और RBI की गाइडलाइन के खिलाफ है।

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रिकवरी एजेंट को भी रहना होगा अपनी हद में

बैंक भले ही रिकवरी एजेंट्स की मदद से लोन की वसूली कर सकता है, लेकिन उन एजेंट्स को भी नियमों का पालन करना होता है। बिना नोटिस दिए एजेंट किसी के घर नहीं पहुंच सकते और न ही सुबह 7 बजे से पहले या रात 7 बजे के बाद उनसे संपर्क कर सकते हैं। अगर कोई एजेंट इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो ग्राहक सीधे बैंक या बैंकिंग ओंबड्समैन में उसकी शिकायत कर सकता है।

बैंक नहीं कर सकते मनमानी

अगर आपने कोई सिक्योर्ड लोन लिया है और आपकी संपत्ति गिरवी रखी गई है, तो बैंक उसे केवल कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही जब्त कर सकता है। बिना नोटिस दिए, बैंक आपकी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता। सभी प्रक्रिया आरबीआई के दिशा-निर्देशों के मुताबिक होनी चाहिए, जिसमें ग्राहक को हर कदम की जानकारी देना अनिवार्य है।

ग्राहकों को मिलते हैं ये खास अधिकार

सबसे पहले, अगर ग्राहक लोन नहीं चुका पा रहा है और बैंक उसकी संपत्ति को जब्त करना चाहता है, तो उससे पहले बैंक को लिखित नोटिस देना जरूरी होता है। बिना जानकारी दिए कोई भी बैंक यह कदम नहीं उठा सकता। यह ग्राहक का अधिकार है कि उसे हर सूचना समय पर मिले।

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दूसरे, अगर बैंक किसी को लोन डिफॉल्टर घोषित करता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह व्यक्ति अपराधी है। बैंक को उसे लोन चुकाने का समय देना होता है और हर प्रक्रिया नियमों के तहत ही करनी होती है। ग्राहक को समय देना और सभी नियमों का पालन करना बैंक की जिम्मेदारी है।

तीसरे, जब कोई लोनधारक लगातार 90 दिनों तक EMI नहीं भरता है, तब जाकर बैंक उसका खाता NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर सकता है। इसके लिए बैंक को लोनधारक को 60 दिनों का नोटिस देना होता है, ताकि वह चाहें तो बकाया चुका सके।

चौथे, अगर नोटिस पीरियड में भी कोई भुगतान नहीं होता है, तो बैंक संपत्ति की नीलामी कर सकता है। लेकिन इसके लिए भी बैंक को 30 दिन पहले सार्वजनिक नोटिस देना होता है, जिसमें नीलामी की तारीख, समय और रिजर्व प्राइस की जानकारी दी जाती है।

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पांचवां और सबसे जरूरी अधिकार यह है कि ग्राहक को उसकी गिरवी रखी संपत्ति की सही वैल्यू मिलने का हक है। अगर संपत्ति नीलाम की जा रही है, तो बैंक को यह सुनिश्चित करना होता है कि वह उचित दाम पर बिके और नीलामी का पूरा ब्यौरा ग्राहक को पहले से दे। अगर नीलामी के बाद बैंक को लोन से ज्यादा राशि मिलती है, तो वह अतिरिक्त रकम ग्राहक को लौटाना जरूरी होता है। ग्राहक बैंक से संपर्क कर इस अतिरिक्त रकम की मांग कर सकता है।

नजर रखें नीलामी प्रक्रिया पर

संपत्ति जब्त करने और नीलामी की पूरी प्रक्रिया पर ग्राहक को नजर रखनी चाहिए। क्योंकि लोन चुकता करने के बाद अगर कोई अतिरिक्त राशि बचती है, तो उस पर सिर्फ और सिर्फ ग्राहक का हक होता है। बैंक इसे अपने पास नहीं रख सकता।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक की सार्वजनिक गाइडलाइन पर आधारित है। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है। लेख में दी गई जानकारी अद्यतन नियमों के अनुसार बदल भी सकती है।

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