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RBI का बड़ा फैसला! RBI की नई गाइडलाइन से लोन लेना हुआ आसान RBI Loan Rule

By Satish Kumar

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RBI Loan Rule

RBI Loan Rule अगर आप पर्सनल लोन लेने की सोच रहे हैं तो इस खबर को एक बार ध्यान से पढ़ लीजिए। बहुत कम लोग जानते हैं कि लोन देते वक्त बैंक कुछ जरूरी बातें आपको नहीं बताते, खासतौर पर ब्याज दरों को लेकर। अब RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नया नियम जारी किया है, जो आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इस नियम के तहत अब आप अपने लोन की ब्याज दर को फिक्स्ड से फ्लोटिंग या फ्लोटिंग से फिक्स्ड में बदल सकते हैं। यह जानना जरूरी है क्योंकि इससे आपकी ईएमआई और कुल ब्याज भुगतान पर बड़ा असर पड़ सकता है।

फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दरें – क्या फर्क है?

जब भी आप लोन लेते हैं, तो बैंक आपको दो तरह की ब्याज दरें ऑफर करता है – फिक्स्ड और फ्लोटिंग। फिक्स्ड ब्याज दर का मतलब होता है कि आपकी लोन की पूरी अवधि में ब्याज दर एक जैसी रहेगी। यानी आप जितनी ईएमआई शुरू में दे रहे हैं, वो आखिरी तक वैसी ही बनी रहेगी। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप अपने बजट को आसानी से प्लान कर सकते हैं और मार्केट में रेट बढ़ने पर भी आपकी जेब पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

लेकिन एक बात ध्यान रखने वाली है – फिक्स्ड ब्याज दरें आमतौर पर फ्लोटिंग दरों से 1.5% से 2% तक ज्यादा होती हैं। और अगर भविष्य में मार्केट रेट कम हो गए, तो भी आपकी ईएमआई कम नहीं होगी। अब बात करते हैं फ्लोटिंग ब्याज दर की। फ्लोटिंग दरें बाजार की स्थितियों के हिसाब से बदलती रहती हैं। ये रेपो रेट या बैंक के किसी और बेंचमार्क रेट से जुड़ी होती हैं।

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अगर बेंचमार्क रेट बढ़ेगा, तो आपकी ब्याज दर और EMI दोनों बढ़ जाएंगे। लेकिन अगर रेट घटता है, तो आपको फायदा भी मिल सकता है – आपकी EMI कम हो सकती है। इसका फायदा यह है कि ये दरें फिक्स्ड दरों से अक्सर कम होती हैं और लंबी अवधि में आप ब्याज के पैसे बचा सकते हैं। हालांकि इसका नुकसान यह है कि इसमें स्थिरता नहीं होती, जिससे फाइनेंशियल प्लानिंग करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

RBI की नई गाइडलाइन – अब मिल गया बदलाव का अधिकार

भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में एक बहुत अहम फैसला लिया है, जिससे लोन लेने वालों को बड़ा फायदा मिल सकता है। अब बैंक और फाइनेंशियल कंपनियां लोन की शर्तों को रिवाइज करते वक्त ग्राहकों को यह विकल्प देना जरूरी होगा कि वे चाहें तो फिक्स्ड से फ्लोटिंग या फ्लोटिंग से फिक्स्ड ब्याज दर में स्विच कर सकें। इससे लोन लेने वालों को अपने वित्तीय फैसलों पर ज़्यादा नियंत्रण मिलेगा। मान लीजिए आपने फिक्स्ड रेट पर लोन लिया और कुछ साल बाद मार्केट में ब्याज दरें बहुत कम हो गईं – अब आप फ्लोटिंग में स्विच कर सकते हैं और EMI में बचत कर सकते हैं। इसी तरह अगर फ्लोटिंग में लोन लिया और आपको लगने लगा कि रेट्स बढ़ सकते हैं, तो आप फिक्स्ड में बदलकर भविष्य के झटकों से बच सकते हैं।

आपके लिए कौन-सी ब्याज दर सही है?

अब सवाल उठता है कि आपके लिए फिक्स्ड सही रहेगा या फ्लोटिंग? इसका जवाब आपके बजट, जोखिम उठाने की क्षमता और भविष्य की प्लानिंग पर निर्भर करता है। अगर आप हर महीने एक तय EMI देना चाहते हैं और कोई सरप्राइज नहीं झेलना चाहते, तो फिक्स्ड रेट आपके लिए बेस्ट रहेगा। लेकिन अगर आप थोड़ी रिस्क ले सकते हैं और उम्मीद करते हैं कि ब्याज दरें आगे चलकर कम होंगी, तो फ्लोटिंग आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है।

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फ्लोटिंग रेट के मामले में लोन की अवधि लंबी होती है तो बचत के चांस ज्यादा रहते हैं। वहीं फिक्स्ड रेट छोटी अवधि वाले लोन के लिए बेहतर हो सकती है, जहां स्थिरता ज्यादा मायने रखती है। इसलिए लोन लेने से पहले अपनी इनकम, खर्च, भविष्य के गोल्स और जोखिम सहने की क्षमता का अच्छे से मूल्यांकन करें और फिर फैसला लें।

नया RBI नियम क्यों है खास?

RBI का ये नियम इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पहले बैंक अक्सर इस तरह का विकल्प नहीं देते थे और ग्राहक को उसी ब्याज दर पर चलना पड़ता था जो शुरुआत में फाइनल हुई थी। अब ये बंधन टूट गया है और ग्राहक को फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी मिल गई है। इससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और बैंकों पर दबाव रहेगा कि वे ग्राहकों को सही जानकारी दें और विकल्प उपलब्ध कराएं।

Disclaimer

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यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी प्रकार की फाइनेंशियल सलाह नहीं है। लोन लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार या बैंक से संपर्क कर पूरी जानकारी लें और उसके अनुसार निर्णय करें। RBI की गाइडलाइंस समय-समय पर अपडेट होती रहती हैं, इसलिए आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित बैंक से पुष्टि करना जरूरी है।

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