DA Arrears – केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए यह एक बड़ी खबर है। लंबे समय से लटके हुए 18 महीने के डीए (महंगाई भत्ता) और डीआर (महंगाई राहत) एरियर को लेकर अब उम्मीदें फिर से जाग उठी हैं। जनवरी 2020 से जून 2021 तक कोरोना महामारी के चलते सरकार ने इन भत्तों के भुगतान पर रोक लगा दी थी। उस समय देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था और सरकार के सामने भी संसाधनों की कमी थी, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।
महंगाई के इस दौर में एरियर का बड़ा महत्व
महंगाई की मार झेल रहे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए यह एरियर बेहद जरूरी हो गया है। भले ही उस समय डीए की दरें बढ़ाई गई थीं, लेकिन उसका भुगतान नहीं हुआ था। इससे कर्मचारियों के पास एक बड़ी राशि बकाया रह गई, जो अब मिलती है तो उनके खर्च करने की क्षमता में इजाफा होगा और आर्थिक रूप से उन्हें राहत मिलेगी।
क्या होता है डीए और डीआर?
महंगाई भत्ता यानी डीए केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी का अहम हिस्सा होता है। इसका निर्धारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर होता है और आमतौर पर इसे हर छह महीने में संशोधित किया जाता है। वहीं, पेंशनभोगियों को भी इसी तरह डीआर मिलता है ताकि उन्हें भी बढ़ती महंगाई से निपटने में मदद मिल सके।
बजट 2025 से बंधी हैं सबसे बड़ी उम्मीदें
1 फरवरी 2025 को मोदी सरकार अपना पहला पूर्ण बजट पेश करने जा रही है, और इसी से कर्मचारियों को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। बताया जा रहा है कि वित्त मंत्रालय को डीए-डीआर एरियर को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है। अगर सरकार इसे मंजूरी देती है और बजट में इसका ऐलान होता है, तो यह लाखों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत होगी।
आर्थिक असर भी पड़ेगा बेहद सकारात्मक
अगर सरकार यह एरियर जारी करती है, तो इसका असर केवल कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा। करोड़ों लोगों के हाथ में एकसाथ आई बड़ी रकम बाजार में डिमांड को बढ़ाएगी, जिससे व्यापार और उद्योग को फायदा होगा। इससे रोजगार के नए अवसर भी बन सकते हैं और अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी।
सरकार का रुख और कर्मचारियों की आवाज़
अब तक सरकार का रवैया इस मुद्दे पर सकारात्मक नजर आया है। कर्मचारी संगठनों की मांग है कि अब जब आर्थिक स्थिति में सुधार हो चुका है, तो सरकार को भी अपना वादा निभाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि महामारी के समय कर्मचारियों ने सरकार का साथ दिया था, और अब सरकार की बारी है कि वो कर्मचारियों के साथ खड़ी हो।
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राज्य सरकारों की स्थिति क्या है?
केंद्र के अलावा कई राज्य सरकारों ने भी महामारी के दौरान अपने कर्मचारियों का डीए-डीआर रोक दिया था। कुछ राज्यों ने आंशिक रूप से भुगतान शुरू कर दिया है, लेकिन कई राज्यों में अभी तक फैसला लंबित है। अगर केंद्र सरकार पहल करती है, तो राज्यों पर भी अपने कर्मचारियों को एरियर देने का दबाव बढ़ेगा।
घोषणा का मनोवैज्ञानिक और व्यावहारिक असर
अगर बजट 2025 में सरकार यह घोषणा करती है, तो इससे कर्मचारियों का मनोबल काफी बढ़ेगा। यह सरकार के कर्मचारियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को भी दर्शाएगा। साथ ही, हेल्थ इंश्योरेंस, हाउसिंग और टैक्स में छूट जैसे दूसरे कल्याणकारी उपायों की भी घोषणा की जा सकती है, जिससे कर्मचारियों की संतुष्टि और उत्पादकता दोनों बढ़ेंगी।
18 महीने का डीए और डीआर एरियर अब सिर्फ एक वित्तीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह कर्मचारियों और सरकार के बीच भरोसे की बहाली का प्रतीक बन गया है। अगर बजट में इसकी घोषणा होती है, तो यह सिर्फ आर्थिक राहत नहीं बल्कि एक मजबूत संदेश भी होगा। इससे देश के लाखों कर्मचारियों को नई ऊर्जा और प्रोत्साहन मिलेगा।
Disclaimer
यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें दी गई जानकारी विभिन्न रिपोर्ट्स और मीडिया स्रोतों पर आधारित है। वास्तविक निर्णय सरकार द्वारा ही लिया जाएगा। किसी भी निर्णय से पहले आधिकारिक अधिसूचनाओं और घोषणाओं को जरूर देखें। लेखक इस जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।