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टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी खबर! इनकम टैक्स नियमों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला Income Tax New Rules

By Satish Kumar

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Income Tax New Rules

Income Tax New Rules – हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इनकम टैक्स से जुड़े एक अहम मामले में ऐसा फैसला सुनाया है जो देश के लाखों टैक्सपेयर्स के लिए राहत की खबर है। इस फैसले के बाद अब इनकम टैक्स विभाग किसी भी व्यक्ति पर बिना पुख्ता वजह के कार्रवाई नहीं कर सकेगा। यानी अब सिर्फ शक के आधार पर आयकर विभाग लोगों को परेशान नहीं कर पाएगा। कोर्ट ने साफ कहा है कि इनकम टैक्स एक्ट के तहत जो नियम बनाए गए हैं, उन्हीं का पालन करते हुए काम होना चाहिए।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में खासतौर पर सेक्शन 153ए को लेकर अहम बातें कहीं। कोर्ट का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति के यहां तलाशी होती है और कोई ठोस सबूत नहीं मिलता, तो उसकी आय को बढ़ाकर नहीं दिखाया जा सकता। इससे पहले कई मामलों में देखा गया था कि केवल शक के आधार पर टैक्सपेयर को नोटिस भेज दिए जाते थे, जिससे उन्हें कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

री-असेसमेंट पर सख्त रुख

इनकम टैक्स विभाग कई बार पुराने मामलों को फिर से खोल देता है, जिसे री-असेसमेंट कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस पर भी सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने साफ किया है कि अगर किसी मामले की पहले से जांच हो चुकी है और उस दौरान कुछ खास सामने नहीं आया है, तो उसे बिना नए और ठोस सबूत के दोबारा नहीं खोला जा सकता। इससे ईमानदार करदाताओं को राहत मिलेगी और उन्हें बार-बार उन्हीं मामलों में नहीं उलझाया जाएगा।

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बिना सबूत नहीं होगी कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि टैक्स चोरी के मामलों में अगर बाद में कोई मजबूत सबूत मिलता है, तो आयकर विभाग जरूरी कार्रवाई कर सकता है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब केस गंभीर हो और सबूत पुख्ता हों। उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा की अघोषित आय छिपाता है, तो उस पर दस साल बाद भी जांच की जा सकती है। इसका मतलब यह नहीं है कि टैक्स चोरों को खुली छूट मिल गई है, बल्कि अब जांच की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और नियमों के तहत होगी।

हाई कोर्ट के फैसले को भी मिली मंजूरी

इस मामले में पहले हाई कोर्ट ने जो फैसला दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे सही माना है। कोर्ट ने कहा कि जब किसी करदाता पर री-असेसमेंट की प्रक्रिया लागू की जाती है, तो उससे उसे मानसिक, आर्थिक और सामाजिक तनाव झेलना पड़ता है। ऐसे में यह जरूरी है कि विभाग पहले ठोस जानकारी जुटाए, फिर ही कोई कार्रवाई करे।

क्या है सेक्शन 153ए

इनकम टैक्स एक्ट की यह धारा उन मामलों से जुड़ी है जिनमें आयकर विभाग किसी की आय की जांच करना चाहता है। अगर विभाग को किसी के खिलाफ कुछ अघोषित आय का संदेह होता है, तो वह इस धारा के तहत कार्रवाई कर सकता है। लेकिन अब यह साफ कर दिया गया है कि सिर्फ अंदाज या शक के आधार पर कार्रवाई नहीं होगी। जब तक पक्के प्रमाण न मिलें, तब तक करदाता को नोटिस या जांच में नहीं घसीटा जा सकता।

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फैसले का क्या असर होगा

इस फैसले से करदाताओं को काफी राहत मिलेगी। अब विभाग को हर कार्रवाई के लिए नियमों का पालन करना होगा। इससे न केवल करदाताओं के अधिकारों की रक्षा होगी, बल्कि टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता भी आएगी। विभाग को यह भी ध्यान रखना होगा कि वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल सिर्फ जरूरी और उचित मामलों में ही करे।

टैक्सपेयर्स को क्या फायदा मिलेगा

इस फैसले से ईमानदार टैक्सपेयर्स को बार-बार परेशान होने से राहत मिलेगी। पुराने मामलों को फिर से खोलने के लिए अब विभाग को ठोस वजह बतानी होगी। अगर ऐसा कुछ नहीं है, तो उस मामले को दोबारा नहीं छेड़ा जाएगा। वहीं टैक्स चोरी करने वालों पर अब भी सख्त कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन वह भी सबूतों के आधार पर ही।

विभाग के लिए साफ निर्देश

कोर्ट ने साफ किया है कि इनकम टैक्स विभाग को कानून के प्रावधानों का पालन करना ही होगा। करदाताओं के साथ किसी भी तरह की मनमानी नहीं चलेगी। विभाग को हर कदम सावधानी और पारदर्शिता से उठाना होगा ताकि टैक्स कानूनों पर जनता का भरोसा बना रहे।

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सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इनकम टैक्स से जुड़े मामलों में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। इससे एक ओर जहां टैक्स व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर करदाताओं के अधिकारों की रक्षा भी होगी। यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि टैक्स कानूनों का पालन सही तरीके से हो और किसी को बेवजह परेशान न किया जाए।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह या कार्रवाई से पहले किसी योग्य टैक्स कंसल्टेंट या वकील से परामर्श जरूर लें। लेख में दी गई जानकारी से संबंधित किसी भी कार्रवाई के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे।

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